Wednesday 15 February 2012

नेता- कुत्ता और वेश्या (भाग-2)

पार्टी नेता के घर में थी,
देश के नेता कई सम्मिलित।
कुछ नशे में चूर हो झूमें,
कुछ अधिक पीकर हूये थे चित।।
हादसा किन्तु हुआ था एक,
जितने थे नेता गए घबरा।
दो विरोधी दल के थे नेता,
एक दूजे से गए टकरा।।
एक बोला तूँ बड़ा उल्लू,
दूजा बोला तूं बड़ा कुत्ता।
एक बोला तूं फरेबी है,
दूजा बोला तूं बड़ा झुट्टा।।
एक आया था वहाँ कुत्ता,
पीके मदिरा था बड़ा मदमस्त।
नेता से तुलना सुनी अपनी,
था हुआ कुत्ते को भारी कष्ट।।
वो तुरत भौं भौं लगा करने,
फिर अचानक वह पड़ा गुर्रा।
वह नशे में कुछ अधिक ही था,
उसने पी ली थी अधिक ठर्रा।।
आपने तुलना गलत है की,
है कठिन अपमान यह सहना।
मानता हूँ वह नशे में था,
किन्तु जायज उसका था कहना।।
अपनी तुलना मुझसे मत करिये,
यह मुझे गाली सी है लगती।
गालियाँ हमको नहीं आतीं,
गालियाँ तुमको हि हैं फबती।।
मास बारह पूँछ पुल्ली में,
किन्तु हम सीधी न करते हैं।
लीग पर अपनी चले आये,
हम नहीं उसको बदलते हैं।।
पर तुम्हारा क्या भरोसा है,
आज इस दल दूसरे में कल।
गंदगी इतनी यहाँ पर है,
राजनीति बन गई दलदल।।
बन गई गाली ये नेता शब्द,
यह मुझे गाली बहुत अखरी।
खाते हो तुम लोग जिसमें ही,
छेद करते हो उसी पतरी।।
ये वफा होती प्रति उसके,
हम तो जिसकी भी ये खाते हैं।
जान उस पर करते न्यौछावर,
फर्ज हम अपना निभाते हैं।।
देश से तुमको मिली इज्जत,
देश को तुम सबने है लूटा।
शब्द नेता था कभी भूषण,
शब्द नेता बन गया झूटा।।
नाम कुत्ता है वफादारी,
तुम हमारे सामने क्या हो।
तुम तो धोखेवाज हो केवल,
सच कहूँ तुम वेश्या या हो।।
कुन्तु वेश्याओं का भी है धर्म,
धर्म सब अपना निभाते हैं।
कत्ल कर देते हैं रिश्तों का,
राजनीति में तो पाते हैं।।

Wednesday 8 February 2012

बहस


1. बहस चीज ऐसी है इक, जिसे न सकते जीत।
   जीत  में होती  हार है, जीत से हम भयभीत।।

2. सब कुछ मैं जानूँ कहे, बहुत बड़ा बेवकूफ।
   किन्तु उससे बड़ा वह, बहस करे जो खूब।।

3. जितनी बहसें जीतते, उतने कम हों मित्र।
    अपने भी न रहोगे, कितनी बात विचित्र।।

4. बहस  के  माने  लड़ी  ज्यों, हारी  हुई  लड़ाई।
  जीत मिली तो लाभ क्या,कीमत अधिक चुकाई।।

5. यह जज्वाती युद्ध है, बाद हृदय में दर्द।
    अर्थ हीन जो युद्ध हो, दोनों का हो हर्ज।।

6. क्या ठीक मतलब नहीं, कौन ठीक है अर्थ।
    निकले तंग दिमाग से, बहस इसीसे व्यर्थ।।

7. हो दिमाग छोटा बहुत, मुँह हो मगर विशाल।
    करने का उससे बहस, तत्क्षण त्यागें ख्याल।।

8. दूर सुअर से ही रहें, कभी करें न युद्ध।
    गंदे होंगे आप ही, सुअर तो होगा शुद्ध।।

9. बहस व्यर्थ ही मूर्ख से, तीखे शब्द कठोर।
   जोर-जोर से बोलना, सभी तर्क कमजोर।।

10.बहस बहस का विषय है, करने का यह नाहिं।
    बहस व्यर्थ न कीजिये, मित्र न खोना चाहि।।

11.बहस बहुत विस्तृत विषय, मेरा सीमित ज्ञान।
    बहस  जीतने से मिले, अंत में बह अभिमान।।

12.बहस जीत कर आपके, क्या उपलब्धि पास।
    बहस करे  जो  व्यर्थ में, मित्र  रहे न खास।।

13.समय काटने के लिये, बहस करें कुछ लोग।
    बिना बहस के बैचेन वो, लगे बहस का रोग।।

14.व्यर्थ विषय पर बहस हो, मुझे न अंत दिखाय।
    अंत  बहस   का तभी हो, मित्र शत्रु बन जाय।।

15.जहाँ  व्यर्थ  की  बहस  हो, वहाँ रहें खामोश।
    यह अनुभव की बात है, कभी न हो अफसोस।।